STORYMIRROR

Pushp Lata

Drama

5.0  

Pushp Lata

Drama

गाँव न जाना

गाँव न जाना

1 min
258


अब का बच्चा गाँव न जाना

बरगद, पीपल छाँव न जाना 

काट रहा है दिन एकाकी 

साथ न रहती दादी काकी।

 

मोबाइल में खोया रहता 

चकाचौंध को खुशी समझता

रीति रिवाजों से अनजाना

अब का बच्चा गाँव न जाना।


बल्ब जलाकर रहता दिनभर 

कभी न देखे दिनकर उठकर 

इसे न भाये चंदा तारा

ये महलों का राज दुलारा।


जीवन के दुख से बेगाना

अब का बच्चा गाँव न जाना

ज्वार बाजरा मिस्सी रोटी 

गिल्ली डंडा कंचा गोटी।

 

क्या जाने ये बर्गर वाला

तेज धूप पैरों का छाला

ये गाता अंग्रेजी गाना

अब का बच्चा गाँव न जाना।


भागदौड़ का जीवन जीना 

केवल लिमका कोका पीना 

रंग विदेशी इसको भाये 

गूगल बाबा इसे पढ़ाये।


 ये रोबट को ही पहचाना

अब का बच्चा गाँव न जाना।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama