गाँव न जाना
गाँव न जाना


अब का बच्चा गाँव न जाना
बरगद, पीपल छाँव न जाना
काट रहा है दिन एकाकी
साथ न रहती दादी काकी।
मोबाइल में खोया रहता
चकाचौंध को खुशी समझता
रीति रिवाजों से अनजाना
अब का बच्चा गाँव न जाना।
बल्ब जलाकर रहता दिनभर
कभी न देखे दिनकर उठकर
इसे न भाये चंदा तारा
ये महलों का राज दुलारा।
जीवन के दुख से बेगाना
अब का बच्चा गाँव न जाना
ज्वार बाजरा मिस्सी रोटी
गिल्ली डंडा कंचा गोटी।
क्या जाने ये बर्गर वाला
तेज धूप पैरों का छाला
ये गाता अंग्रेजी गाना
अब का बच्चा गाँव न जाना।
भागदौड़ का जीवन जीना
केवल लिमका कोका पीना
रंग विदेशी इसको भाये
गूगल बाबा इसे पढ़ाये।
ये रोबट को ही पहचाना
अब का बच्चा गाँव न जाना।