भाषाएं हमराज़ हैं
भाषाएं हमराज़ हैं
एक से ज़्यादा भाषा भी जानना कमाल है
सोचूं इक मैं तो दूजी पूछे क्या हाल है।
मैं हिंदी में लिखने जो बैठूं, उर्दू झांक जाती है
और उर्दू में लिखूं तो हिंदी द्वार खटखटाती है
इंग्लिश भी कभी कभी मिलने चले आती है
पास अपने तीनों भाषाएं मुझे बुलाती हैं।
बीच में पंजाबी और मराठी देती ताल है
एक से ज़्यादा भाषा भी जानना कमाल है।
अरबी के अल्फ़ाज़ भी मुझपे हक़ जताते हैं
चाशनी ले उर्दू की लफ्ज़ झिलमिलाते हैं
हिंदी के शब्दों की सुंदर माला गुंथ जाती है
छत्तीसगढ़ी मुझे पुकारती, बुलाती है
तो अवधी बोली खींच के ससुराल ले जाती है।
किसमें लिखूं सारी भाषाएं बेमिसाल हैं
एक से ज़्यादा भाषा भी जानना कमाल है।
हिंदी में लिखती हूं तो गर्व मुझे होता है
उर्दू लिखने का सुरूर जुदा होता है
इंग्लिश पोएट्री जब दिल का दर्द गाती है
छत्तीसगढ़ी थपकती नींद आ जाती है
अवधी बोली कभी सुनाती जो हाल है।
किस ज़ुबां में लिखूं, कलम करती सवाल है
एक से ज़्यादा भाषा भी जानना कमाल है।
हिंदी के शब्दों का प्यार जकड़ लेता है
उर्दू के नशे से भला कौन बच सकता है
है विदेशी फिर भी मुझे इंग्लिश से प्यार है
क्षेत्रीय भाषाओं में भी भाव बेशुमार है।
मन की अभिव्यक्ति की हर भाषा हमराज़ है
हर भाषा दिल से मिलाती मधुर ताल है।
एक से ज़्यादा भाषा भी जानना कमाल है
सोचूं इक मैं तो दूजी पूछे क्या हाल है।
