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Manju Saini

Inspirational

4  

Manju Saini

Inspirational

मेरी तलाश

मेरी तलाश

2 mins
435


आज सुबह ही नजारा नज़र आया

शांत,एकांत चारों ओर बस नज़र आया

जीवन की भागमभाग में कहाँ कोई ठहर पाया

कभी-कभी लगा मानो मानव मानव से ही ठगा गया

मैं उस अनजाने अनपहचाने से विश्राम स्थल को देख

खो सी गई उस अनाम अमिले व्यक्ति परछाई में

आज सुबह ही नजारा नज़र आया.


शांत,एकांत चारों ओर बस नज़र आया

पूर्ण करें इस विश्राम स्थल की मन की इच्छा की

वही आत्मीयता जो चाहिए उसको अपने लिए पर

जीवन की भागमभाग में कब समय रहा पास

न जाने क्यों आज हमने अपने को कर्जदार सा किया

आज सुबह ही नजारा नज़र आया.


शांत,एकांत चारों ओर बस नज़र आया

क्यों बेवजह बेमतलब ही जीवन अपना अर्पण किया

कहाँ गए को सुखद व अपने वाले दिन

क्यों आज प्रकृति भी निहारती सी लगती है राह 

कि कोई आये शुद्ध हवा लेने व विश्राम करने

आज सुबह ही नजारा नज़र आया.


शांत,एकांत चारों ओर बस नज़र आया

क्यो किसी के पास वक्त नही स्वयं को सुखी होने का

आज तलाशता सा नज़र आया ये विश्राम स्थल भी

मानो कोई थक ही नही रह हो बस चले ही जा रहे है

आखिर कब तक भागना हैं माया के पीछे कब तक

आज सुबह ही नजारा नज़र आया.


शांत,एकांत चारों ओर बस नज़र आया

एक दिन तो करना होगा विश्राम एक लंबा विश्राम

क्यों न जिया जाए हर पल जीवन का मस्ती के साथ

प्रकृति के हजारों को देख मुस्कुराते हुए पल पल

आओ निहार रही हैं राह आपकी अपनी प्रकृति।


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