"प्रयास करना न छोड़"
"प्रयास करना न छोड़"
तू प्रयास करना कभी नही छोड़
एकदिन आयेगा सफ़लता मोड़
चलता रह,निरन्तर बस निरन्तर
एकदिन पायेगा तू,मंजिल छोर
रात्रि अंधेरा कितना हो,घनघोर
प्रकाश आगे न चलता,तम जोर
तू चलता चल,प्रकाश की ओर
एक न एकदिन जरूर होगी भोर
तू प्रयास करना कभी नही छोड़
आशा मे न होता,निराशा बोल
एकबार में न बने सफल,संयोग
तो भी वो न करे फिझुल वियोग
हार के बाद बनता,सफलता योग
जो हार को स्वीकारते,निःसंकोच
और मेहनत करते फिर से बहोत
वो पाते अवश्य ही रत्न अनमोल
पढ़नेवाले सुने बात कान खोल
रब सबको देता,स्वकर्म का मोल
इसबार कम पढा,अगली बार,
करूँगा,सही दिशा में श्रम बहोत
बहुत सी बार न मिलता लक्ष्य छोर
जब हम भटक रहे,होते दूसरी ओर
वैसे मां शारदे न रखती,उधार दोस्त
वो मूढ़ बनाती कालिदास,एक रोज
बस धैर्य,सब्र से करता रह कर्म रोज
सफलता खटखटाएगी जरूर डोर।