STORYMIRROR

Manju Saini

Inspirational

4  

Manju Saini

Inspirational

बेवजह ही पर रोशन दिवाली

बेवजह ही पर रोशन दिवाली

2 mins
408


मेरी लेखनी में दर्द है गरीब दिए बनाने वाले का

करना उसका जिक्र जरूरी मुझे लगा

मेरी आदत सी बन गई है दर्द को उकेरने की

बेवजह ही सही पर मेरी लेखनी चलती है

बेवजह ही सही पर….

हर बार फिक्र झलकती हैं मेरे शब्दों में

जानती हूँ शायद न्याय नही हो पाता केवल शब्दों से

मेरी चाहत से बन गई है एक मुद्दे पर लिखने को

जानती हूं मैं तुम मुझे मेरे शब्दों से पहचान सकते हो

बेवजह ही सही पर….

हो नहीं सकते शब्दो से किसी के दर्द कम

फिर भी ना जाने क्यों चलती हैं सतत मेरी लेखनी

मानती हूँ कभी तो ध्यान जाएगा इस की ओर

तुम्हें अनदेखा नहीं करना है तभी न्याय दे सकते हो

बेवजह ही सही पर….

मेरी बेचैनियों में इसके बने हुए दिए ही हैं

क्या इसके घर भी इनसे रोशनी होगी

क्या हम दिए खरीद इसकी मदद कर सकेंगे

एक राहत सी मिलती इसको भी दिये बेच

बेवजह ही सही पर….

मेरी कविता में जिक्र आज इस गरीब कुम्हार का

करना जिक्र जरूरी हैं क्योंकि दिवाली करीब आई

मिलकर इसके घर को रोशन कर यही आस जगाई

मेरी आदत ही सही और चलती है लेखनी दर्द भरी 

बेवजह ही सही पर…

                 

                    


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational