STORYMIRROR

Seema Singh

Inspirational

4  

Seema Singh

Inspirational

"आओ चलें गाँव की ओर"

"आओ चलें गाँव की ओर"

1 min
256


बड़े बड़े घरानों के,

शहरों के बन्द मकानों में ।

गुजारते कैसे सांझ और भोर,

आओ चलें गाँव की ओर ।।


शहर भी साथ निभाता है,

सबको अपना बनाता है ।

नौकरी और व्यवसाय देकर,

सम्मान भी दिलाता है ।।


समय समय पर दे अवकाश,

कहता चलो गांव की ठौर ।

गर्मी की छुट्टियाँ मिली हैं,

आओ चलें गाँव की ओर ।।


गाँव है अपना कितना प्यारा,

चहुं ओर दिखे हरा भरा ।

प्रकृति के नजदीक रहकर,

मन भी तो है निखरा निखरा ।।


मान सम्मान बड़ों को देते,

छोटों पर भी करते गौर ।

स्मृतियों को मन में रखकर,

आओ चलें गाँव की ओर ।।


सूर्योदय से दिन शुरु कर,

आंचल सिर रख जल दे नारी ।

मेहमानों का स्वागत भी करे,

जल से भरे बारी फुलवारी ।।


कर्तव्य पथ पर चले सदा वो,

पकड़ चले आँचल का छोर ।

मान सम्मान सब कुछ जहाँ हो,

आओ चलें गाँव की ओर ।।


तुलसी, नीम, गाय और धरती,

सभी माता ही होती हैं ।

मातु पिता हो भगवन सम,

ऐसी परम्परा होती है ।।


कुल, परम्परा, मान- मर्यादा, 

रीति रिवाज का अब भी शोर ।

सबका निर्वहन हम भी करने,

आओ चलें गाँव की ओर ।।


           


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational