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Seema Singh

Others

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Seema Singh

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"बसंत में फूल और फूल पर भौंरे"

"बसंत में फूल और फूल पर भौंरे"

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बसंत में खिलते हैं जो फूल ,,

भौंरे तो मंडराया करते हैं ।

फूलों की खुशबू से जाके पूछो ,,

आकर्षण कहाँ से लाया करते हैं ।।

बसंत में खिलते ...............।।


तरह तरह के फूल खिले हैं,,

लाल, पीले, हरे, नीले हैं ।

कैसी ये अभिव्यक्ति देते ,,

इन्हें देख हम जी लेते हैं ।।


कुशलता इनकी मन में रखकर ,,

इन्हें नहीं तोड़ा करते हैं ।

बसंत में खिलते हैं जो फूल,,

भौंरे तो मंडराया करते हैं ।।


भौंरे भी हैं कई तरह के,,

यहाँ वहां घूमा करते हैं ।

निज अनुभूति से असंतुष्ट हो वह,,

जीवन को निराश करते हैं ।।


करो ना कर्म कोई तुम ,,

अन्त समय बस पछताते हैं ।

बसंत में खिलते हैं जो फूल,,

भौंरे तो मंडराया करते हैं ।।


सृष्टि भी है बसंत सी ये ,,

सुख दुख आते जाते हैं ।

इच्छानुसार जीवन जी कर हम ,,

सम्बन्धों को निभा जाते हैं ।।


भोग कर लो तुम त्यागपूर्वक,,

साथ ना कुछ जाया करते हैं ।

बसंत में खिलते हैं जो फूल,,

भौंरे तो मंडराया करते हैं ।।


फूलों की खुशबू से जाके पूछो,,

आकर्षण कहाँ से लाया करते हैं ।।


                      


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