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Seema Singh

Others

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Seema Singh

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"बसंत में विद्यार्थी "

"बसंत में विद्यार्थी "

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विद्यार्थी हों या तपस्वी हों,

बसंत ऋतु है सबको प्यारी ।

समयानुकूल रहकर सब,

करते हैं पूरी तैयारी ।।


कितना सुनहरा सूर्योदय हो,

सूर्यास्त भी कितना अच्छा ।

निज कर्तव्यों को करने में,

ना रहा अब कोई पछता ।।


पशु पक्षी मानव सब,

निभा रहे अपनी यारी ।

विद्यार्थी हों या तपस्वी हों,

बसंत ऋतु है सबको प्यारी ।।


उषाकाल की ठिठुरन भी,

समाप्त हो चुकी है अब ।

हरी भरी ये धरती खुशी से,

व्याप्त हो चुकी है अब ।।


सूर्यदेव पर्याप्त समय दे,

निभा रहे जिम्मेदारी ।

विद्यार्थी हों या तपस्वी हों,

बसंत ऋतु है सबको प्यारी ।।


पतझड़ के बाद नव पल्लव में,

योगी को नवजीवन भी दिखता है ।

ज्ञान का सार मिल गया हो फिर,

मोक्ष को ही मन मचलता है ।।


आवागमन के भंवर से अब,

मुक्त कर दो हे डमरूधारी । 

विद्यार्थी हों या तपस्वी हों,

बसंत ऋतु है सबको प्यारी ।।


       


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