"बसंत में विद्यार्थी "
"बसंत में विद्यार्थी "
विद्यार्थी हों या तपस्वी हों,
बसंत ऋतु है सबको प्यारी ।
समयानुकूल रहकर सब,
करते हैं पूरी तैयारी ।।
कितना सुनहरा सूर्योदय हो,
सूर्यास्त भी कितना अच्छा ।
निज कर्तव्यों को करने में,
ना रहा अब कोई पछता ।।
पशु पक्षी मानव सब,
निभा रहे अपनी यारी ।
विद्यार्थी हों या तपस्वी हों,
बसंत ऋतु है सबको प्यारी ।।
उषाकाल की ठिठुरन भी,
समाप्त हो चुकी है अब ।
हरी भरी ये धरती खुशी से,
व्याप्त हो चुकी है अब ।।
सूर्यदेव पर्याप्त समय दे,
निभा रहे जिम्मेदारी ।
विद्यार्थी हों या तपस्वी हों,
बसंत ऋतु है सबको प्यारी ।।
पतझड़ के बाद नव पल्लव में,
योगी को नवजीवन भी दिखता है ।
ज्ञान का सार मिल गया हो फिर,
मोक्ष को ही मन मचलता है ।।
आवागमन के भंवर से अब,
मुक्त कर दो हे डमरूधारी ।
विद्यार्थी हों या तपस्वी हों,
बसंत ऋतु है सबको प्यारी ।।
