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प्रकृति के नजदीक रहकर, मन भी तो है निखरा निखरा प्रकृति के नजदीक रहकर, मन भी तो है निखरा निखरा
परख बसंत की हो या व्यक्तित्व की,, परखने वाला समझ सका है। परख बसंत की हो या व्यक्तित्व की,, परखने वाला समझ सका है।
फूलों की खुशबू से जाके पूछो ,, आकर्षण कहाँ से लाया। फूलों की खुशबू से जाके पूछो ,, आकर्षण कहाँ से लाया।
पशु पक्षी मानव सब, निभा रहे अपनी यारी । पशु पक्षी मानव सब, निभा रहे अपनी यारी ।
मेरे मन को शिव जी भाएं,, संग में माता पार्वती । मेरे मन को शिव जी भाएं,, संग में माता पार्वती ।
बसंत का मौसम है मनभावन,, कर लो भक्ति रात दिन ।। बसंत का मौसम है मनभावन,, कर लो भक्ति रात दिन ।।
बसंत में प्रिय मिलन की चाह , मिलने को करती मजबूर बसंत में प्रिय मिलन की चाह , मिलने को करती मजबूर
जब ठिठुरन सी ना रह जाए ना ढूँढना पड़े आग की आंच। जब ठिठुरन सी ना रह जाए ना ढूँढना पड़े आग की आंच।
आ गयी बसन्त की ऋतु ,, प्रियतम तू भी अब आ जा। आ गयी बसन्त की ऋतु ,, प्रियतम तू भी अब आ जा।
ठिठुरती हुई धरा का आकर, करता है ये अंत । ठिठुरती हुई धरा का आकर, करता है ये अंत ।