STORYMIRROR

Seema Singh

Others

4  

Seema Singh

Others

"मधुमास में प्रेम "

"मधुमास में प्रेम "

1 min
386


आ गयी बसन्त की ऋतु ,,

प्रियतम तू भी अब आ जा।

प्रकृति भी है बाहें फैलाए ,,

मधुमास में प्रेम तू सिखा जा ।।


खेतों में सरसों फूली ,,

पुष्प वृक्षों पर लहराए ।

नव पल्लव साथ लिए ,,

गीत गाती हैं लताएं ।।


कुंजन कोयल की सुन सुन कर ,,

मन ये गुंजारित कर जा ।

प्रकृति भी है बाहें फैलाए,,

मधुमास में प्रेम तू सिखा जा ।।


सर्व सुखद ऋतु होने से ,,

इसे ऋतुराज कहते हैं ।

अद्यतन काल में इसे ,,

प्रेम का मास कहते हैं ।।


रोज, प्रपोज, किस, आलिंगन ,,

चॉकलेट,टेडी,वैलेन्टाइन तू मना जा ।

प्रकृति भी है बाहें फैलाए ।

मधुमास में प्रेम तू सिखा जा ।।


गर कभी अड़चन पड़ जाए ,,

तो तू परेशान ना हो ।

फूलों की खुशबू पवन से भेज ,,

मन भ्रमर सा हैरान ना हो ।।


तुम ही मन तुम ही जीवन ,,

तू रोम रोम बस जा ।

प्रकृति भी है बाहें फैलाए,,

मधुमास में प्रेम तू सिखा जा ।।


आ गयी बसन्त की ऋतु,,

प्रियतम तू भी अब आ जा ।

प्रकृति भी है बाहें फैलाए,,

मधुमास में प्रेम तू सिखा जा ।।


                      


Rate this content
Log in