Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Seema Singh

Abstract

4  

Seema Singh

Abstract

"बसन्त में प्रकृति प्रेम "

"बसन्त में प्रकृति प्रेम "

1 min
278


एक लम्बी सर्दी के बाद

आती है बसंत की सांझ।

जब ठिठुरन सी ना रह जाए

ना ढूढना पड़े आग की आंच।।


सुन्दर से इस मौसम में

धूप भी खिलखिलाती है।

बच्चे बूढे सब के चेहरे पर

मुस्कान आती है ।।


फूल खिले चिड़िया भी चहके

प्रकृति बताए प्रेम की बात।

जब ठिठुरन सी ना रह जाए

ना ढूढना पड़े आग की आंच।।


गरीब अमीर सभी के चेहरे

इस मौसम में खिल जाते हैं।

हंस कर प्रकृति में समय बिताएं

नहीं कभी वो पछताते हैं।।


पशु पक्षी भी इस मौसम में

विचरण करें खुले आसमान।

जब ठिठुरन सी ना रह जाए

ना ढूढना पड़े आग की आंच।।


कोयल भी कूजने लगी है

आम में भी आए बौर।

पीली सरसों लहराती हैं

आया है बसंत का दौर।।


ना अति गर्मी ना अति सर्दी

सर्व सुखद है मौसम आज।

जब ठिठुरन सी ना रह जाए

ना ढूँढना पड़े आग की आंच।।


एक लम्बी सर्दी के बाद

आती है बसंत की सांझ ।

जब ठिठुरन सी ना रह जाए

ना ढूँढना पड़े आग की आंच।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract