"बसंत में शिव विवाह"
"बसंत में शिव विवाह"
मेरे मन को शिव जी भाएं,,
संग में माता पार्वती ।
आज प्रियतम को कहा ,,
आप कर लो पूजा आरती ।।
शिव पार्वती के फेरों की अग्नि,,
आज भी प्रज्वलित हो रही ।
वहां पहुंच जो भी दर्शन कर ले ,,
तकदीर उसकी बनी रही ।।
बसंत सा मनभावन मौसम,,
कर लो सब जगराती ।
आज प्रियतम से कहा मैंने,,
आप कर लो पूजा आरती ।।
दुल्हन सी सजी माता ,,
दूल्हा बने मेरे भोले बाबा ।
कितने अजब बाराती हैं,,
भूत प्रेत बजा रहे बाजा ।।
सारी सृष्टि मनाए दुनियाँ,,
सजी है सारी धरती ।
आज प्रियतम से कहा मैंने,,
आप कर लो पूजा आरती ।।
प्रकृति के बीच रहते प्रभु,,
वैभव से कोई स्नेह नहीं ।
सर्वदाता भक्तों के हैं ,,
किसी से कोई बैर नहीं ।।
सकुशल सब कुछ रहे जहाँ,,
आज मैं यही प्रार्थना करती ।
अब मैं कहती जन जन से ,,
कर लो पूजा आरती ।।
