"बसंत में भक्ति "
"बसंत में भक्ति "
पूर्णिमा से ही शुरू हो ,,
जाता है स्नान ध्यान का दिन ।
बसंत का मौसम है मनभावन ,,
कर लो भक्ति रात दिन ।।
बसंत के तेरस को महाशिवरात्रि,,
भी मनायी जाती है ।
माँ पार्वती सी धरती सारी,,
सज धज जाती है ।।
रात्रि जागरण करके सब,,
करते हैं भजन कीर्तन ।
बसंत का मौसम है मनभावन,,
कर लो भक्ति रात दिन ।।
भांग, धतूरा पीकर भोले मेरे,,
मस्त हो जाते हैं।
विल्वपत्र, शमीपत्र से खुश ,,
सारे वर दे जाते हैं ।।
दून पंचामृत अर्पित कर ,,
कर लो सफल अपना जीवन ।
बसंत का मौसम है मनभावन,,
कर लो भक्ति रात दिन ।।
शिव और शक्ति के मिलन से,
सृष्टि निर्मित हो गयी ।
तेरी कृपा रहे धरा पर ,,
साधना सीमित हो गयी ।।
कथनी करनी में है भेद ,,
दिखावा बस गया प्रति मन ।
बसंत का मौसम है मनभावन,,
कर लो भक्ति रात दिन ।।
पूर्णिमा से ही शुरू हो जाता है,,
स्नान ध्यान का दिन ।
बसंत का मौसम है मनभावन,,
कर लो भक्ति रात दिन ।।
