इन्हीं वादियों में मिलती है संजीवनी.. प्राणदायिनी...। इन्हीं वादियों में मिलती है संजीवनी.. प्राणदायिनी...।
विश्वेश्वरी, हे नव दुर्गा, हम सभी करे तुम्हे नमन नारी तू है रूप दुर्गा का, करता हूं ते विश्वेश्वरी, हे नव दुर्गा, हम सभी करे तुम्हे नमन नारी तू है रूप दुर्गा का, कर...
मुखमंडल से निकलती आभा जैसे हो शशि की छाया मुखमंडल से निकलती आभा जैसे हो शशि की छाया
जब जब पतिव्रता कथन होय तब तब मां अनसुईया नाम जग लिन्हो। जब जब पतिव्रता कथन होय तब तब मां अनसुईया नाम जग लिन्हो।
जीवन परिस्थिति कितनी भी कठिन योधा का युद्ध सा संघर्ष दिन प्रतिदिन। जीवन परिस्थिति कितनी भी कठिन योधा का युद्ध सा संघर्ष दिन प्रतिदिन।
मेरे गुरू नाटककार ड. केश रंजन प्रधान जी के लिये समर्पित यह कविता । मेरे गुरू नाटककार ड. केश रंजन प्रधान जी के लिये समर्पित यह कविता ।