अनसूया की परीक्षा
अनसूया की परीक्षा
जब भी किसी नारी के
सत्यपरायणता की कथा
आयेगी।
तब तब सती अनसुइयां मांँ
का नाम जुबान पे आयेगी।
मांँ थी अलग तपश्वी तेज
आभामय की वात्सल्य जननी
करुदामय की थी वह देवी।
ब्रम्हा विष्णु शंकर जी आए
तृप्त हो मन ही मन हर्षाए।
पतिव्रता की तुम सत्य अधिकारी
पतिव्रता बन जग को दिखालाई
स्त्री संग मांँ का वात्सल रूप भी दिखाई
साक्षात जब ब्रम्हा विष्णु शिव सिधारे
मन ही मन तुम विचलित नहीं भयो
मांँ जब धर्म में मांँ का नाम लियो
तब तब आप का नाम भी आए।
जब जब पतिव्रता कथन होय
तब तब मां अनसुईया नाम जग लिन्हो।