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Pinki Khandelwal

Inspirational

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Pinki Khandelwal

Inspirational

क्या मेरे अंदर का कवि मर गया है..।

क्या मेरे अंदर का कवि मर गया है..।

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कुछ सवाल जो मैने खुद से किए हैं,

उन जवाबों को मुझे ही ढूंढना है,


क्या कभी कवि भावनाओं में बह सकता है?

क्या कवि सच्चाई से मुख मोड़ सकता है?


क्या कभी वो कवि जिसके शब्दो में दर्द की आहट थी,

क्या कभी उसमें प्यार की बरसात हो सकती है,


नहीं न, कवि सच्चाई को अपनी ताकत बना,

पीड़ितों के दर्द को अपनी आवाज बना... लिखता है,


न किसी जोश में न कभी भावनाओं के सागर में बहकर,

वो कुछ भी नहीं लिख देता,


वह वहीं लिखता है जो लोगों को प्रेरित करें,

सत्य की कसौटी पर खरी उतरे,

महिलाओं बच्चों को अच्छा ज्ञान प्रदान करें,

समाज को नया उद्देश्य दें,

पीड़ितों के दर्द पीड़ा को व्यक्त कर सके,


क्योंकि कवि समाज को नयी सोच प्रदान करता है,

बेशक कुछ क्षण वो जज्बातों के समुद्रं में गोते लगाता है,


पर फिर उनसे ऊपर उठ कड़वी सच्चाई लिखता है,

अपनी आवाज को सैकड़ों लोगों की आवाज बना देता है।


जो सवाल मन में उठे थे,

और ढूंढे मैंने उनके जबाव है,

जिन्होंने मुझसे कहा कभी नहीं,

मेरे अंदर का कवि कभी मर नहीं सकता,

वो हर पल जिंदा है मेरे दिल में मेरे जज्बातों में,

मेरी लिखावट में मेरे लिखे हर शब्दों में,

मेरी चुप्पी में मेरे हर वजूद में वो जिंदा है।



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