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Amit Singhal "Aseemit"

Inspirational

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Amit Singhal "Aseemit"

Inspirational

मैं कविता हूं

मैं कविता हूं

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मैं कविता हूं कवि के चिंतन का स्वरूप लाऊं।

कवि के विचारों व भावों को शब्द रूप पाऊं।


कभी एक नई नवेली दुल्हन जैसा श्रृंगार पाऊं।

विभिन्न अलंकारों और रसों से सजायी जाऊं।


कभी श्वेत सत्य के रौद्र रूप को समक्ष लाऊं।

कभी स्याह अंधेरों में प्रकाश का पुंज जलाऊं।


कभी श्रोताओं व पाठकों के नेत्रों में अश्रु बहाऊं।

कभी उनके मुखों पर प्रसन्नता के पुष्प खिलाऊं।


कभी नारी सम्मान में लिखी जाने का गौरव पाऊं।

मैं कविता हूं, कभी कल्पना कभी सत्य बन जाऊं।


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