अप्रत्याशित सी दौड़
अप्रत्याशित सी दौड़
"अप्रत्याशित सी दौड़"j
शेर सी दहाड़ और
हाथी जैसे अपनी
मदमस्त चाल में
दौड़ते भागते जीवन
कुछ पाने की खातिर
मुश्किलों को परास्त करते
हौसले मिल जाए अगर
कोई कृष्ण सा सारथी
पथ में राह दिखाने को
धर्म और अधर्म के
बीच का अंतर बताने
सफ़र में मंजिले भले
ही सौ कोस नजर आए
पर दो ही काफी है
एक हौसले का कृष्ण
जैसा सारथी और
दूसरे आप स्वयं
जो जीत सकता है
अपने बलबूते से
पूरी दुनियां को
लाभ क्या हानि का
मनमानी का कोई प्रश्न
उठता ही नहीं जब पहचान
आसमां को छूने की हो
दुनियां का दस्तूर है
टोकना, रोकना
पर कहां रुकना कहां नहीं
यह स्वयं तय करना है
शिखर पर पहुंचने के लिए
इस जीवन की आपधापी
और बेहिसाब
अप्रत्याशित दौड़ में!!