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Pratibha Bhatt

Tragedy

4  

Pratibha Bhatt

Tragedy

हार - जीत

हार - जीत

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हार जीत का

प्रश्न नहीं

प्रश्न फिर कैसा है

 युद्ध मैदान का 

अंहकार को

सिद्ध करने की


लड़ाई या फिर

कब्जे की

कितनी जिंदगियां

कुर्बान हो जाती है 

 सरहद पर

उजड़ी मांगे और

 सूना बचपन

रह जाते है अपनी

मिट्टी में दबे


मिट जाते हैं

सपने सूनी

हो जाती है

गालियां

ख़ामोश हो

जाते है घर

फिर हार जीत के 

कई रहस्य और प्रश्न ?


छोड़ जाता है

कई अनसुलझे

जिंदगियों के सवाल

इस पार भी

 उस पार भी।


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