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Pratibha Bhatt

Abstract

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Pratibha Bhatt

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झंकार

झंकार

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हृदय में जब खुशी

उल्लास की लहर उठती है

मन की वीणा झंकार बजती है

संगीत सब कुछ संभाल लेता है


उस वक्त जब बिखरने को कुछ होता है

तब यह मन को संवाद देती है

दिलों में एक हूक सी उठती है बजती है

चित में प्रेम और स्नेह कासागर बन

हंसी की धुनें रचने लगती है


एकांत में अकेलेपन

से उदासी को निचोड़ लेती है

बिखरे बारह महीनों के मोती

एक माला में धागे सा पिरो लेती है


लाख मुश्किलों से तरंग बनकर

गीतों में ढाल लेती है

हर संभावना संगीत में खोज लेती है

खुद को पत्थर से हीरा तराश

कर जब राग मय हो लेती है


द्वेष क्लेश भय जलन

से मुक्त अनुराग का दामन थाम लेती है

मन की वीणा झंकार बजती है।


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