थाप और लगाम
थाप और लगाम
घोड़े की थाप
और लगाम
दोनों इस बात
का प्रतीक है
कि तेज गति से दौड़ना
ही काफी नहीं
रास्तों पर चलने के लिए
कोई पछतावे के लिए
जीवन की लगाम
सही जगह कसी
होनी चाहिए
घुमावदार, मोड़
अपरिचित रास्ते
फिर भी खोजना है
पहचान के लिए
अपने समर्थ
का मालिक
इच्छाओं के घोड़े
पर सवार होकर
तय करता है
अनजान रास्ते
टेढ़े मेंढ़े सफ़र
ऊंची पहाड़ियों
से गुजर कर
ना दिखाई देनी
वाली सड़कें
पगडंडियां
किंचित मात्र
भय का तनिक भी
प्रशह नहीं
हार जीत
के फैसले
शूरवीरों के
आड़े फिर
नहीं आते.....
