यादें
यादें
1 min
323
यादें भी कितनी
अजीब होती हैं
कोई वक्त नहीं
इनके आने का
चली आती है
हर दिशा से
बिना कोई
इजाज़त के
खुशी में, गम में
मुश्किलों के
हर मौसम में
हर याद का
अपना एक रंग है
अकेले में भी
भीड़ का हिस्सा भी
लिखना है बहुत कुछ
कुछ छूट जाता है
कुछ अमिट
स्याही बन जाता है
अधूरा ख़्वाब भी
एक दिन पूरा होता
है यादों में कहीं.........