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Pratibha Bhatt

Abstract

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Pratibha Bhatt

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आज़ादी

आज़ादी

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आज़ादी की कीमत सस्ती

कभी नहीं हो सकती

देश की खातिर

प्राणों का न्यौछावर

लहू के रंग से सनी धरती

उजड़े घर सूनी माँग

देश प्रेम को उजागर करती


आज़ादी चंद शब्द नहीं

वर्षों लगे देश को इसको पाने में

कैसे भूल गए ये खुली हवा में

सांसे यूं ही नहीं मिली

कुछ चाह करता है

वीर सपूतों का बलिदान

याद करो कुर्बानी


जो अमन चैन आज पा रहे

कद्र करो, उद्दंडता छोड़ो

स्वतंत्र होने की कीमत जानो

बुराई पर अच्छी की जीत

महापुरुषों की रची कहानी

अंग्रेजो के अत्याचारों से

मुक्त हुए, देश की पहचान


वापिस लाने का संघर्ष

और भेदभाव, ऊंच नीच

जात पात से परे होकर

उधार है हम पर

आज तक वीर सपूतों

का त्याग और महानता

का प्रतीक जो आज

जी रहे हम ये

आज़ादी.......!


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