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ARCHANNAA MISHRAA

Romance Tragedy

3  

ARCHANNAA MISHRAA

Romance Tragedy

एहसास

एहसास

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जैसे साँसें लेते हो जीवन के लिए 

क्या वैसे ही जरुरी हूँ मैं जीवन के लिए।

तुझ संग रहने से थी मेरी अहमियत ,

क्या मेरे आने से अब है मेरी ज़रूरत।

क्या वैसे ही टूट के चाहते हो मुझको 

क्या अब भी हलचल होती है तुझमें ।

क्या अब भी नाम लेते हो मेरा तन्हाई में

या डरते हो रुसवाई से ।

में तो सिर्फ़ एक वस्तुँ की तरह आंकी गयी ,

देके सर्वस्व अपना तेरे दिल से निकाली गयी ।

मेरा वजूद था कुछ वहाँ 

या कुछ दिन का रैन बसेरा था ।

क्या मैं बन पाई वजह तेरे जीने की ,

क्या मेरे नाम का तूने सजदा किया ।

दुनिया भर की तोहमत से दामन मेरा बेदाग़ किया,

जो भी थे संग मेरे अपने उनको मुझसे दूर किया ।

नहीं बनी में किसी की संगिनी ,

सिर्फ़ कुछ दिन का था दाना पानी।

नहीं लौटना अब मुझको भी वहाँ,

जहाँ दे ना सके कोई साथ मेरा ।

जहाँ बार बार अपने वज़ूद को साबित मैं करूँ ,

नहीं हैं आश्चर्य की कोई बात यहाँ।

चल साँझ भई अपने ही ठौर

नहीं यहाँ कोई तेरा और ॥


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