नर्स
नर्स
प्रेम पाश सी सुन्दर हो ,
फ़रिश्तों की अभिमूरत हों,
धरती पर हैं जो कहीं कृति
ईश्वर की , तुम उसकी अभिपूरक हो।
सज्जलता ओर वात्सल्यता का गठबंधन हो,
करुणमयी हैं आँखे तुम्हारी
ममतमयी स्वर हैं
तुम्हारी निगेबानी में हर व्यक्ति तृप्त है
इस धरा पर आइ हो, संसार को श्रेष्ठ बनाने क़ो ,
मानव धर्म की सच्ची कसौटी तो निभाई आपने ही
जब छोड़ चले सब संगी साथी
तब ऐसे में आप बड़ी
सहारा थी ॥
जितना भी वैभव गायें
वो कम प्रतीत होता है
सजदे में आपके अपना मस्तक
झुकता हैं।
