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ARCHANNAA MISHRAA

Inspirational

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ARCHANNAA MISHRAA

Inspirational

चाह

चाह

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चाह

बंद किताबें बड़ी अच्छी लगती हैं

जैसे जैसे खुलती हे ना 

एक दर्द 

एक बेचैनी 

एक जिज्ञासा उमड़ने लगती है

बरसों से बंद हैं मेरी भी कल्पनाएँ 

मेरे विचार ,

मेरी अभिव्यक्ति 

ग़र कहो तो उड़ेल दूँ 

मैं भी अपने रंग इस कैनवस पर

इस आपाधापी में छूट गया बहुत कुछ 

शुक्र है मेरी किताबें मेरे पास हैं


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