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Nirupama Naik

Inspirational

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Nirupama Naik

Inspirational

नेगचार

नेगचार

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नई दुल्हन चौखट पे खड़ी

चौखट पे जमी भीड़ बड़ी

गृहप्रवेश के साथ शगुन में

नेग की कितनी भेंट चढ़ी।

सासू माँ ने दे दिए गहने-ज़ेवर

ससूर जी ने दिया कीमती

लिबास

ननंद ने दी प्यार की झप्पी

जेठानी ने नेग दिया

कुछ ख़ास।

उनके नेग में थी

रसोई की आधी ज़िम्मेदारी

उनके साथ अब हर

एक चीज़ में

समान की भागीदारी।

जेठ में दिया उपहार स्वरूप

बड़े भाई का प्यार

देवर ने पाँव छूकर

पूरा किया नेगचार।


पति ने कुछ न दिया नेग में

दुल्हन सोच में पड़ी।

क्या इनके बस कुछ न हुआ

सिर्फ इनकी नेग न चढ़ी।

कुछ दिन बीत गए उस घर में

पत्नी ने अब किया सवाल

क्योंजी ? नेग में कुछ

दिया नहीं मुझे

आया नही ख़याल?

पति ने मुस्कुरा कर कहा सुनो

मेरा नेग है इस प्रकार

सब कुछ आधा-आधा कर लो

स्वीकार करो उपहार।

मेरे हर इक सुख की साथी

दुख की भागीदारी

मेरे हर इक क्षण की हो तुम

आधी अधिकारी।


जो कुछ भी है मेरा

चाहे धन हो या परिवार

आधी तुम को सौंप रहा हूँ

छोटा सा संसार।

तुम्हारे हर इक

सुख-दुख में भी

मेरी है भागेदारी

कुछ भी संकट आये

मिलकर निभाएंगे

अपनी ज़िम्मेदारी।

तन-मन से आधे-आधे हम

अंग से हो अर्धांगिनी

क्या देता उस इक

पल में तुम को

तुम हो सातों जन्मों की

संगिनी।

नेग में तुम को पाया मैंने

उसके बदले किसी भेंट

का कोई मोल नहीं

जुड़ा है रिश्ता तुमसे

नेग से बढ़कर

मेरे लिए अनमोल यही।

अब से लेकर अंत तक

धूप-छाँव में कर लेंगे गुज़ारा

साथ मज़बूत हो इतना के

बुढ़ापे में बनेंगे एक

दूसरे का सहारा।


सुनकर नेग की ऐसी भेंट

पत्नी को हुआ एहसास

सारे नेग से बढ़कर है ये

सबसे अनोखा और

सबसे ख़ास।

पति-पत्नी के रिश्ते कि

मधुर होती है हर साज़

यही तो है सर्वश्रेष्ठ नेग और

असली नेग-रिवाज़।



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