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Khushbu Tomar

Inspirational

4  

Khushbu Tomar

Inspirational

ईमानदारी एक जीवनशैली

ईमानदारी एक जीवनशैली

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ईमान की बात करते हो और पैसों से यारी रखते हो

ज़िम्मेदारी की बात करते हो और रिश्वत में हिस्सेदारी करते हो

चलो मान अभी मिल रहा शान अभी बढ़ रही

जब पकड़े जाते हो तो क्यों रोते हो।


घुट घुट के छिप छिप के देश बेच रहे

क्या ज़रा सी भी ख़ुद्दारी नहीं रखते हो

एक दौलत एक देह पर ईमान तुम्हारा डोल रहा

और तुम ईमानदारी के भाषण देते फिरते हो

क्या उन रिश्तों से ईमानदारी रखते हो।


चंद पैसों के लिए अपनी गरिमा,

सालों के रिश्ते और देश बेच देते हो

ईमानदारी बातों में नही सलीक़े

से देखती आँखों में दिखती है।


ईमानदारी झूठी मुसकुराहट में नहीं

गर्व से चमकते चेहरे पर होती है

भरोसा देखके अपनो की आँखों में दिल से ख़ुशी होती है

कोई तो है जिसका ईमान नहीं डोलता ऐसा सोचने को देश मरता है

चरित्र को ईमानदारी से लिप्त करके तो देखो

फिर जो सुकून जो तिरपती मिलती है।


वो पैसों की चकाचौंध में कहाँ 

वो शक भरी निगाहें पीठ पीछे सुनाई देती

वो यारों की चुग़ली वो मज़ाक़ उड़ाने वाली हँसी 

वो चैन की नींद इसमें कहाँ 

ईमानदारी से ग़ुरूर है जीने का अलग सुरूर है

बेफ़िक्री और जीवन के संघर्ष में भी ख़ुशी है।


ईमान तब कहाँ जाता है जब माँ के दूध का क़र्ज़ 

उसे वरधा आश्रम छोड़कर निभाते हो

पत्नी को मारकर उससे ईमानदारी की उम्मीद रखते हो

बेईमान तुम हो और शक दूसरों पर करते हो

ईमानदारी तो रूह में होती है क्यों ऊपरी दिखावा करते हो

डिजिटल दुनिया में ज़रा ई-मानदारी अपनाकर तो देखो 

जब देश बढ़ रहा तो तुम भी इसको बढ़ाकर देखो।


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