ख़ुश हूँ मैं
ख़ुश हूँ मैं
हाँ ख़ुश हूँ मैं,हाँ शायद खुश ही हूँ मैं
अधूरे रिश्ते हो या बनावटी संबंध
इनको निभाने का भी हो इम्तहान
उसमें भी ख़ुश हूँ मैं
अकेली नहीं हूँ बहुत शोरगुल है चहुँओर
लोग है फ़िक्र करने को प्यार करने को
ज़रूरत पर लड़ने को भी
तभी तो शायद ख़ुश हूँ मैं
परेशानी नहीं है कोई मुझे,
सुनकर जब ये सब ख़ुश होते हैं न
तो उस ख़ुशी में ख़ुश हूँ मैं
गलियारे अश्क़ों के कहते हैं मुझसे
ख़ुशी का नगमा है जीले ज़रा इनमें
जब चाहत होती है किसी अपने की
कंधे पर सर रखने की
तब इतने शोर में भी एक
शख़्स रूबरू नहीं होता
शायद नज़रिया बदल दिया
धुंधला कर दिया आंसुओं ने
जो कोई मन को नहीं भाता
जब लगता है ख़ुशी से
चहचहाऊँ किसी अपने के संग
तब भी पता नहीं क्यों इतनी
शांति सी मेरी कायनात लगती है
मायूसी मेरे क़रीब आकर खुश होती है
फिर क्या उसकी ख़ुशी में भी ख़ुश हूँ मैं
दर्द तो बहुत होता है तन को भी मन को भी
इस डगर मे भी जब कोई हाथ नज़र नहीं आता
तो जो सच है अपना साथ वही मुझे ख़ुश करता है
मेरे आँसू मेरी ख़ामोशी मेरी सोच मेरा दर्द
हाँ भला दूसरों को कैसे महसूस होगा
तो क्यों न ख़ुद के लिए ख़ुश रहूँ मैं
तो हां मेरे लिए ख़ुश हूँ मैं।
