बिछड़ना
बिछड़ना
दर्द बहुत हुआ होगा बिछड़ना जब हुआ होगा
वो आँखें कितना रोई होगी जो मिलन की आस में थी
वो मुस्कुराहट छेड़ रही होगी जो उसके साथ होने पर थी
वो आलिंगन सिहरन में बदल सा गया होगा।
वो तेरा बालों को सँवारना उसका इतराना
वो तेरा हर बार उसे मनाना उसका चिल्लाना
दिल तो टूट गया होगा मन चूर हुआ होगा।
उसकी एक मुस्कुराहट के लिए हर ज़िद पूरी करना
और आज उसको तेरे आंसुओं का इल्म होने पर भी न रूकना
दिल का आलम बयां करने लायक़ न होगा।
तेरा गिड़गिड़ाना यूँ खुद को हर गलती पे क़सूरवार ठहराना
सिर्फ़ उसका ग़ुस्सा शांत करने को
तेरा उसकी हर ख्वाहिश पूरी करना सिर्फ़ थोड़ा सा प्यार पाने को
आज हर अंग पछता सा रहा होगा
न चाहते हुए भी तड़प रहा होगा।
जो तेरी ख़ातिर लड़ जाया करती थी
तुझे छोड़ने को तुझसे ही लड़ रही
इतने दुख मे भी नासमझ दिल दलील दे रहा होगा
कुछ तो मजबूरी होगी सोचकर खुश होना चाह रहा होगा।
क्या कमी थी मुझमें या लायक़ नहीं था उसके
मन न चाहकर भी यही ललकार रहा होगा
प्यार करना ही ख़ता है दर्द ही दर्द लिखा है
आज सारे लम्हे आ गए होंगे सामने
जिसे चाहा था हद से ज़्यादा बस वही न रहा बस में साथ बसने
दर्द उसे भी तो होगा या प्यार था ही नहीं दरमियान में
ऐसा करके दर्द तो हुआ होगा न।

