STORYMIRROR

Pallavi Verma

Inspirational

4  

Pallavi Verma

Inspirational

बुजुर्गों की सीख

बुजुर्गों की सीख

2 mins
976


सूखे दरख्त,दबी जुबान में

शायद बुदबुदा रहे थे

कुछ बात थी मन में शायद कुछ समझा रहे थे

वक्त रहता नहीं सदा यूं ही, कुछ पल मेरे पास बैठो तुम भी

यह वक्त भी गुजर जाएगा और गुजर जाएंगे ,हम भी

तब ये, झुर्रीयाँ,सफेदी,खुरदुरा पन याद आएगा

छूट जायेगा, कुछ,कुछ याद बन जायेगा

हाँ !!!हम भी रोटी और सपने की,तलाश में तुझको गोद में ,उठा नहीं पाए

बढ़ गया कद जब

मुझसे तेरा, तब, जान पाये।

हाय!तेरे बचपन को, गुजरते तो,देख ही नहीं, पाए

आज,वही दौर वापस आ गया है,

 पहले तुझे था मेरा इंतजार 

आज तेरे,इंतजार में

मेरा ठहरा हुआ वक्त

कुछ और ठहर गया है,

तुझे जरूरत नहीं मेरी

समझ सकता हूं मैं

मगर ,तेरी जरूरत पूरी करने को ही

तुझसे दूर रहा था मैं ,

नहीं ला सकता गुजरे पल को,

की वापस जी सकूं ,तेरे संग,

कुछ पल ,हंसी

 इल्तजा है मेरी , जिंदगी तू, जी ले अभी, 

हर पल, मत बिखर, कल की तलाश में

 उसे भी तो देख,

बिना मांगे है, जो तेरे पास में

जो चाहता था वह मिल भी गया तो क्या?

इसे पाने में जो खोया

उसका क्या?

इससे पहले कि ये आज कल बन जाय, 

इससे पहले कि तेरे मासूम भी ,

तेरी नीड़ से उड़ जाये।

हम तुम और वो मिले, हँसे ,झूमें ,जी लें इस पल को ,

इससे पहले कि, देर हो जाये

आज जब हम अपनी अपनी दुनिया में व्यस्त रहते हैं

दुखते शरीर,कमज़ोर नज़र,दुखते घुटने कमर से त्रस्त

सूखे दरख्त सरीखे

हमारे बुजुर्ग कुछ सीख दे रहे हैं


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational