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R. B. Maithil

Inspirational

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R. B. Maithil

Inspirational

विजय प्रहार

विजय प्रहार

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सुनो कहानी उन वीरों की, जो सीमा पर लड़ते हैं।

पूर्ण समर्पित राष्ट्रहित में, प्राण न्योछावर करते हैं।

सियाचिन में खड़े रहते जो, ऋण चालीस के तापों में।

राजस्थान में भी डटे रहें जो, अड़तालीस के भांपों में॥


पर, सूर्य में वो तेज कहाँ ? जो उनको कभी जला सके।

और हिम में भी वो शीत कहाँ ? जो उनको कभी

गला सके।

जिन्हे अड़ा खड़ा देख, वायु भी राह बदलते हैं।

उन्ही साहसी, पराक्रमी वीरों को, भारतीय सैनिक

कहते हैं॥


केवल हैं ये सैनिक नहीं, वीरों के भी वीर हैं ये।

रण के मध्य न रोक सकोगे, गांडीव से निकले

तीर हैं ये।

यदि आतताई दिखाये सीमा पर, तो तेरी शीश

उतार हम फेकेंगे।

यदि बात न हमारी मानी, तो नरक तुझे हम

भेजेंगे॥


रणचंडी जब आवाहिंत होंगी, रक्त बहेगी

नदियों में।

भारत का यह विजय प्रहार, इतिहास रचेगी

सदियों में।

जब तक तेरा अंत न होगा, ये युद्ध नहीं विराम

होगा।

विश्व का भूगोल बदलने वाला, यह अटूट

संग्राम होगा॥


रणकौशल की वर्षा होगी, मेघ प्रलय का छायेगा।

सागर की लहरें भी, उफान बनकर आयेगा।

धीरे-धीरे बहती वायु, यूँ आँधी बन जाऐगा।

विजय पताका भारत का, अंबर तक लहराएगा॥


जब समर भूमि में उतरेंगे हम, गिरिराज हिमालय

डोलेगा।

पश्चाताप का आँसू लेकर, तेरा कालचक्र, तुमसे

बोलेगा।

“रण” छेड़ा है तूने जिनसे, ये रक्त को भी नीर

समझते हैं ।

कर हो तिरंगा समरभूमि में, रणधीर उसे ही

कहते हैं॥


अब केसरिया का बल देखोगे तुम, श्वेत काम न

आयेगा।

हरित रंग के बदले तुम्हारा, रक्त-रक्त वह जाऐगा।

और चक्र की चौबीस तीलियां, तुम्हें स्मरण करायेगी।

भारत के इन वीरों का, सामर्थ्य तुम्हें दिखलायेगी ॥


शंखनाद होते ही हमारी, तलवारें रक्त को ढूंढेंगी।

हर हर महादेव, वन्दे मातरम से, दशों दिशाएं

गूँजेगी।

समरभूमि में आर्यपुत्र जब, महारूद्र सा आएंगे।

देख पराक्रम इन वीरों का, शत्रु भी थर्रायेंगे॥


जिसे हितगामी समझते हो तुम, वो तेरा विनाश

बचा न पाएगा।

वीरभद्र जब गर्जेंगे तो, चीन काम न आयेगा।

कटकर भूमि शीश गिरेगी, तो पीछे पछताओगे।

एक कश्मीर के लोभ में, पूरी पाकिस्तान गंवाओगे॥


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