सुहानी सुबह का स्वागत
सुहानी सुबह का स्वागत
हवाओं में फूलों की खुशबु महकी है,
तितलिआं उड़ीं हैं और चिड़िया चहकी है,
खिड़की से झाँका तो पाया कि सरोवर में
बीती रात कमल दल फूल खिले,
मेरे आँगन में मेरे गुलशन में खिले फूल ही फूल,
भोर कि उजली किरण बिखेरती हुईअपना उजाला ,
ओस की नन्ही नन्ही बूंदों कोफूलों की
पंखुड़िओं ने है सम्भाला ,
हर प्राणी जैसे अपना लक्ष्य अपनी आँखों में समेटे
बढ़ रहा हो उसको पाने को,
जीवन रुकने का नहीं चलने का नाम है ये समझाने को,
मोटर-साइकिल पर निकला है दूधवाला
घर-घर दूध पहुँचाने को,
सड़क पर झाड़ू लगाता वो इंसान
धूल का सामना करता सफाई करने को,
रात अब बीत गयी है अपने अँधेरे समेटे,
आयी नयी भोर उजालों की चादर लपेटे,
आओ इस सुहानी सुबह का स्वागत करें,
रोज नए छोटे-छोटे लक्ष्य बनाएं और
उन्हें पूरा करने का साहस करें,
अपने सपनों को यथार्थ बनाने को संकल्प करें,
उठें, जागें, कब तक सोयेंगे,
टूटे सपनों पर कब तक रोयेंगे,
अब जीवन को सार्थक करेंगे ,
अब सपनों को पूरा करने को जूझ रहा
हर जीवन, प्रगतिशील बनाएं जीवन,
खोएं नहीं व्यर्थ समय ,
जीवन को बनाएं सुरीला और संगीतमय,
जिन संस्कारों से नहीं मतलब करें
नहीं उनकी परवाह,
फिर नया उमंग, ले कर
नया उत्साह आयी है ये सुहानी सुबह,
आओ इसका स्वागत करें,
सूरज ने हंस कर अपना उजाला बिखेरा है,
भोर कि उजली किरणों का रंग सुनहरा है,
भोर की इन उजली किरणों को लेकर,
जीवन को सफल बनाना है,
ये भोर का समय कितना सुहाना है,
अपनी मेहनत से अब हर मंजिल को पाना है,
मेहनत से हर दुर्भाग्य को दूर भागना है,
इस उजली भोर की सुहानी सुबह का आओ स्वागत करें।