प्यार का पहला सावन
प्यार का पहला सावन
उमड़ घुमड़ कर फिर से सावन आया है
संग में अपने जाने कितनी सौग़ातें लाया है,
कुछ याद पुरानी बातें हैं , प्रथम मिलन में भीगे हम तुम थे।
मैं थी , तुम थे वो एक अदभुत सा क्षण था ,
जहाँ हम दोनो ने एक दूजे के मन को छुआ था ,
थोड़ा सा विचलित तो तुम भी थे ,
कहीं घबराई तो मैं भी थी ।
कहीं अनकही सी कुछ बातें बताई तो मेने भी थी ,
तुम्हारे अधरों पे जो हल्की सी मुस्कान आयी थी,
उसी पर थोड़ा सा शरमाई तो मैं भी थी ,
तुम्हारा टकटकी लगा के यूं देखे जाना ,
मेरी तो जान पे ही बन आयी थी ।
उसी क्षण कहीं कुछ तो हुआ था ,
दिल के बगीचे में कहीं कुछ तो छुआ था ,
तुमने भी जाना था , मैं ने भी जाना था
बस ये वही पल था जहाँ से हम दोनो को मिल जाना था ,
जहाँ से हम दोनो को मिल जाना था ॥

