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DEVSHREE PAREEK

Abstract Tragedy Inspirational

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DEVSHREE PAREEK

Abstract Tragedy Inspirational

अपनी तो यही दिवाली है…

अपनी तो यही दिवाली है…

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देखा एक मासूम को मैंने

मोमबत्ती के टुकड़े बीनते हुए

जो रात बाहर की मुंडेर पर

थे कुछ अधजले से रह गए

एक हाथ में कचरे का थैला

तन पे चीथड़ा मेला कुचला

उन अधजल मोम के टुकड़ों को

कसके हथेली में था पकड़ा

चेहरे पर शहंशाह सी मुस्कान

आँखों में इतना गर्व भरा

पा लिया जैसे कोई खजाना

मारे खुशी के दौड़ पड़ा

देख मां, मैं क्या लाया हूँ

चल जल्दी तू भी जला

हम भी दीवाली मनाएंगे

खुशियों से घर सजाएंगे

मन की पीड़ा छुपाकर

माँ बोली, हाँ क्यों नहीं

अभी लक्ष्मी आने वाली है

अपनी तो यही दीवाली है…



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