सपना
सपना
हर इंसान एक सपना देखता है
कुछ रह जाते हैं अधूरे
कुछ होते हैं पूरे
जिंदगी सपनो की दुनिया है
सपने नही जिंदगी नही
सपने ही हमे आगे बढ़ने का हौसला देते हैं
हर एक बेटी देखती है सपने की काश एक दिन उसके माँ बाप कहे उसको अपना
घर मे जब बेटी पैदा होती है पहले दिन से उसे प्यारा कर दिया जाता है
घर वाले कहते हैं कि यह मेरे कोइ पिछले जनम का कोइ कर्ज़ होगा
जो मुझे बेटी पैदा हुइ है पहले दिन से उसे बोज समजा जाता है
उसके परिवार वाले उसको अच्छी तालीम देने के बदले उसके दहेज़ के लिए तैयारी करने लगते है
अगर कोइ बेटी माँ बाप की सेवा करती है तोह केहते है मेरी बेटी ने बेटा का फ़र्ज़ निभाया
अगर कोइ बेटी नाम कमाती है तोह केहते है मेरी बेटी ने बेटे जैसा नाम कमाया है
यह बेद भाव क्यों
कब यह दुनिया बेटियो को मानेगी अपना
हमेशा बेटियो को बेटे से कम समझा जाता है
जब बेटियो भी नाम कमा सखती है
कुछ बन सखती है
हमेशा उन्हे बेटो से कम समझा जाता है
हमेशा उन्हे बेटो के साथ तोला जाता है
क्यों यह कोइ नही केहता आज मेरी बेटी ने नाम कमाया है
क्यों यह कोइ नही केहता आज मेरी बेटी ने अपना फ़र्ज़ निभाया है
यह बेद भाव क्यों
कब बदलेगी दुनिया
देखे ये एक सपना हर एक बेटी की कब मेरी माँ कहेगी बेटी कब तु हमारा नाम करेगी
बेटी हमारी ऐसा काम करेगी की दुनिया देखती रह जाएगी
हर एक बेटी देखे ये सपना कब उसके माँ बाप कहे उसे अपना।
