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Lokanath Rath

Tragedy Inspirational

3  

Lokanath Rath

Tragedy Inspirational

हे जिन्दगी......

हे जिन्दगी......

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अब जब देखूँ मैं आँख बंद करके

कुछ अपने बीते हुए वो जिन्दगी को

कुछ याद आता है उस तस्वीर को देख के

सोचूँ जो भूल गये कहाँ से लाऊँ ढूंढ के

वो भी तो कुछ बातें सुनहरे पल के

वो पल बीत गया ना आएगा लौट के

ना मैं भी तो जा सकूँ वहाँ पीछे मुड़ के

हे जिन्दगी अब तू बता जरा सोच के

क्या मिला तुझको ऐसी ये खेल खेल के

हे जिन्दगी, तू क्यूं चुप है ये देख के????


अगर कुछ भुलाना था तो क्यूं लाया

क्यूं इतने हसीन पल तुमने दिए

या उस पल को क्यूं हसीन बनाया

बनाया तो फिर क्यूं पीछे छोड़ दिया

और अब उसके लिए ये दर्द दिया

दर्द सह लेते पर क्यूं रुलाया

इस ओठों ने जो फिर सारे आंसू पीये

ये दिल भी तो ना जाने कैसे टूट गया

क्या मिला तुझको बोलो, ऐसे क्यूं किया

हे जिन्दगी, तू बता दे जरा तू क्या पाया ???


जो अपने थे मेरे , वो मुझे छोड़ चले

अपने तो अपने ही होते कैसे भूले

कोई भूल जाये या कोई छोड़ दे भले

साथ छोड़ना था तो हमको क्यूं मिले

भूल जाना था तो साथ फिर क्यूं खेले

ये बिछड़ने का दर्द क्यूं हमें मिले

उनको तो हम अब तक नहीं भूले

सोचता हूँ उनको याद करके जी ले

क्या मिला तुझको, अब तो कुछ कर ले

हे जिन्दगी, अब तो जरा तू ये देख ले...........


कुछ कहना है तो अब कह दे जरा

कुछ करना है तो अब बोल दे जरा

कुछ सोचना है तो अब सोच ले जरा

कुछ दिखाना है तो अब दिखा दे जरा

कुछ लेना ही है तो अब ले ले तू जरा

कुछ लिखना है तो अब लिख ले जरा

कुछ सुनाना है तो अब सुना दे जरा

कुछ खेलना है तो अब खेल ले जरा

कुछ पिलाना है तो अब पीला दे जरा

ये जिन्दगी, अब तो मुझे वक्त दे जरा....



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