परम्परा
परम्परा
फसल हो या नस्ल विकसित वैसे ही होंगे,
जैसी उत्तम गुणवत्ता के हम बीज बोयेंगे,
क्योंकि बबूल के पेड़ पर आम नहीं होंगे।
पारिवारिक परवरिश में भी ध्यान बरतिये,
बच्चे बड़ों के व्यवहार का अनुसरण करते,
अतः संस्कार के बीज बचपन में ही बो दें।
कहते हैं कि पूत के पाँव पालने में नज़र आते,
बच्चे तो वो ही सीखेंगे जो वो परिवार में देखेंगे,
पहिया कुर्सी को धकेलते बच्चे के संस्कार दिखते।।
बच्चों में दया,सहानुभूति,क्षमा,धैर्य के सुगुण बोये,
परवरिश,तहजीब,तरबियत में तृप्ति अर्पण करें,
इन्सानियत एवं सहायता से अपनों को परिपूर्ण रखें।
