बिसर ना जाइये संस्कार
बिसर ना जाइये संस्कार
प्रेम पर अपने सदा समुचित हो विश्वास,
पर ना हो किसी पर कभी अंधविश्वास !
सौहार्द और सदभाव से पूर्ण हो व्यवहार,
समझ लो ये मानव जीवन मिला है उपहार!
इस इहलोक में कुछ भी नहीं होता निराधार ,
विश्वास से समुचित मनुष्यता का हो विस्तार!
अपने माता पिता और बुजुर्गो का हो आदर ;
बिसर ना जाइए कभी अपने पावन संस्कार!
सदा उनका किया करें यथासंभव सत्कार,
आदर व निस्वार्थ प्रेम ही है सबसे बड़ा उपहार!
