आध्यात्मिक-नवदुर्गा।
आध्यात्मिक-नवदुर्गा।
नवदुर्गा का आध्यात्मिक रहस्य, आओ तुमको बतलाते हैं।
सृष्टि की उत्पत्ति से लेकर , नवरात्रि की कथा सुनाते हैं।।
काया मिली इस जीवन में, मां से मिली अमूल्य अमानत है।
स्थूल, सूक्ष्म, कारण रूप तन के, निर्मल करना मां की रहमत है।।
स्थूल से कर्म का है नाता, सूक्ष्म उपासना से निर्मल है बनता।
कारण शरीर ज्ञान बिन अधूरा, बिन तीनों अहंकार जनमता।।
तीन गुण प्रकृति में समाहित, बिन इनके जीवन न संचालित।
सत् , रज, तम् इनको हैं कहते, संपूर्ण जगत को अपने वश में करते।।
जगत की सृष्टि परमात्मा ने सोची, तीन गुणों से तीन शक्ति उपजी।
धार रूपी शक्ति हैं आई ,तीन रूप रंग की देवी हैं कहलाईं।।
प्रथम धार तम् रूप से उपजी, कालरात्रि महाकली कहलाई।
गृह बाधा से मुक्ति देती, पल भर में दुख संताप हर लेती।।
दूसरी धार रज रूप से उपजी, सिद्धिदात्री महालक्ष्मी कहलाई।
सिद्धि और मोक्ष हैं देती, लोक- परलोक कामना पूरी कर देतीं।।
तीजी धार सत् रूप से उपजी, गायत्री, सरस्वती व सावित्री कहलाई।
साधक के कार्य संभव कर देतीं, मनवांछित फल सबको है देतीं।।
बिन पुरुष शक्ति थीं अधूरी, त्रिदेव संग बन गई अब पूरी।
शिव, विष्णु, ब्रह्मा कहलाए, चौथी शक्ति मां- दुर्ग शक्ति कहलाए।।
दुर्ग का अर्थ संसार चलाना, सत् , रज, तम् को है दूर भगाना।
तीन दिवसों में एक प्रभाव भागता, स्थूल, सूक्ष्म कारण से नौ दिवसों में जाता।।
नवरात्रि विधिपूर्वक पूजन जो करते,अध्यात्म लाभ के भागी हैं बनते।
अहंकार "नीरज" अब दूर तू कर ले, नवरात्रि में मां की माला जप ले।।
