बेटा पढ़ाओ,बेटी पढ़ाओ
बेटा पढ़ाओ,बेटी पढ़ाओ
१.
बच्चा-बच्ची छ: का होवे, विद्यालय को देव पठाय ।
श्रीगणेश नूतन जीवन का,शारद माई करैं सहाय ।।
नाम करें ये अपना, कुल का,ऐसी विद्या-बुद्धि पाय ।
मान बढ़ावें भारत-भू का, जग में जय-जय हो जाय ।।
२.
नाम लिखा दो ‘शाला’ जाकर,एक लक्ष्य तुम लेव बनाय ।
उसे पूर्ण करने की खातिर,कुटुम्ब सहित फिर बनो सहाय ।।
तन से,मन से,कर्म-वचन से धरि धीरज सब करो उपाय ।
आज खर्च धन थोड़ा होवै,कल को धन्न-धन्न हो जाय ।।
३.
बेटा अपना,बिटिया अपनी,क्यों दूजे का दहशत खाय ।
बनो सहाय सँवारो जीवन,मात-पिता का फर्ज निभाय ।।
रहो संग छाया सम इनके, देखो राह भटक ना जांय ।
मात-पिता सच्चा सुख पावैं,जब बालक आनंद मनांय ।।
४.
खड़िया-पटिया, पोथी-बस्ता,कापी-कलम,दवात् उठाय ।
चलें शान से नन्हें राजा, मानों अपनी सेन सजाय। ।।
इसी सेन के बूते इक दिन,हठ करि सिंहासन चढ़ जांय ।
चलने वाला मंजिल पाता,बैठा हाथ मलत रह जाय ।।
५.
अक्षर से अक्षर को जोड़े, जीवन-सेतु आप बनाय ।
आपै खोजी,आपै राही,आपै मारग रहै बनांय ।।
तैयारी ये राजतिलक की,होगी कल यह दूँ बतलाय ।
‘जैमाल’ लै वक्त खड़ा है,जाने किसको वर ले जाय ।।
६
भारत माँ की सब संतानें, पढ़-लिख के शिक्षित हो जांय ।
चलें कदम से कदम मिला के,कोई पीछे रह ना जाय ।।
चौदह साल तक के बच्चों को,शासन पूरा करे सहाय ।
फीस लगे न एको रुपैया,सब्बै पुस्तक मुफ्त बँटाय ।।
७.
मुफ्त में शिक्षा,मुफ्त में कपड़े, नकद राशि से मिले सहाय
टिफिन नहीं ले जाना घर से भोजन मिलता तुरत पकाय
सजे-धजे कक्षा औ शाला, बालक देख रहैं मुस्काय ।
मात-पिता जो मौका देवें, इसी ठौर आनंद मनांय ।।
८.
चलो समय से कदम मिला के, कर लो पूरा अपना काम ।
याद रखेगा तभी जमाना, जब-तब लेगा तेरा नाम ।।
अवसर-मौका नाम समय का,लिया लपक सो हुआ महान ।
मौका चूका गये काम से,मिट जाओगे रह गुमनाम ।।