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Rajesh Kumar Shrivastava

Comedy Others

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Rajesh Kumar Shrivastava

Comedy Others

अध्यक्ष हो अपना !

अध्यक्ष हो अपना !

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भाषण देनी हो तुम्हें या करनी हो कविता पाठ।

कार्यक्रम अध्यक्ष से, कर लो यारी गाँठ ।।


हाथ जोड़ प्रणाम कर, मंद-मंद मुस्काये ।

चंपी-झंपी भी करो, बीड़ा पान खिलाये ।।


शरणागत हो कहो, ‘भगवन’ मैं असहाय ।

एक तुम्ही अध्यक्ष जी अंतिम मोर सहाय ।।


आर्डर ले भाषण करो, मिलेगी पूरी छूट ।

श्रोता आयोजक भले चाहे जायें रुठ ।।


सारा टाइम आपका, शर्म करो ना भैया ।

 डर कैसा, जब कोतवाल भये हों सैंया ।।


स्वार्थ नीति है यही, सयानों का भी कहना।

डर कैसा आसंदी पर, जब अध्यक्ष हो अपना ।।



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