STORYMIRROR

Rajesh Kumar Shrivastava

Comedy

4  

Rajesh Kumar Shrivastava

Comedy

अध्यक्ष हो अपना

अध्यक्ष हो अपना

1 min
390

      


भाषण देनी हो या करनी हो कविता पाठ ।

कार्यक्रम अध्यक्ष से, कर लो यारी गाँठ ।।


हाथ जोड़ प्रणाम कर, मंद-मंद मुस्काये ।

चंपी-झंपी भी करो , बीड़ा पान खिलाये ।।


शरणागत हो कहो, ‘भगवन’ मैं असहाय ।

एक तुम्ही अध्यक्ष जी अंतिम मोर सहाय ।।


आर्डर लै भाषण करो, मिलैगी पूरी छूट ।

श्रोता आयोजक भले चाहे जायें रुठ ।।


सारा टाईम आपका, शर्म करो ना भैया ।

 डर कैसा, जब कोतवाल भये हों सैंया ।।


स्वार्थ नीति है यही, सयानों का भी कहना।

डर कैसा आसंदी पर, अध्यक्ष हो अपना ।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Comedy