खुद को साबित हर बार करो ...
खुद को साबित हर बार करो ...
उठो-जागो प्रहार करो
जो भी करना है आज करो
विरोध होता आया है, होता रहेगा
साथ मिलता आया है, मिलता रहेगा
मगर इस उठा पटक इस आपाधापी में भी
खुद को साबित हर बार करो ....
ओस की बूँदें पल दो पल की धुंधलाहट होती है
हौसले से ही तो उड़ान भरने की आहट होती है
मत भटको किसी को ऊँचा उठते देखकर
भीतर की बिजली से ही तो बादलों में गड़गड़ाहट होती है
नदी का प्रवाह बनना हो तो किनारों का उद्धार करो
बुलंदियों का सार बनना हो तो मेहनत तुम आर-पार करो
भटकना नहीं चाहते हो गर तुम पथ से
तो पथभ्रष्ट करने वाली प्रतिस्पर्धाओं में भी
खुद को साबित हर बार करो ....
समझ लो ! जब राही रुकते नहीं बस निरंतर चलते है
तब पद चिन्हों के निशान कही तो
मंजिलों के आसमान कहीं पर मिलते है
'समन्दर का कोई बहाव नहीं होता -
किन्तु ज्वार और लहरों का संगम बादलों को जल की भरकम
ये सब उस समन्दर पर ही मिलते है '
कुछ ना होकर भी थोड़ा तो सरोकार करो
कदम-कदम तुम चलकर ऊँची उड़ानों से बात करो
सिद्ध को तुम सिद्ध हो रहने दो , परन्तु
सपनों की बूंदाबांदी पर मुश्किलों की आहट में भी तुम
खुद को साबित हर बार करो ....
अनुभव नहीं ! ना सही , पर योग्यता में जुनून रखो
असफल हों गये चन्द बार तो क्या हुआ
सफल होने की तो इच्छा शक्ति और आस रखो
मुश्किलों से कब तक भागोगे जब सामना इन्हीं से करना है
दो-दो हाथ कर लो इन बाधाओं से , डर को नहीं अपने पास रखो
क्रोध और नफरत की जरूरत क्या है ?
प्राणी हो ! तो प्राणियों से प्यार करो
बेवजह पहेलियों में वक्त मत बर्बाद करो
पहलुओं पर ध्यान धरो जरूरतों का विस्तार करो
और चुनौतियों के महासमर में
खुद को साबित हर बार करो....
उठो-जागो प्रहार करो
जो भी करना है आज करो
साथ की नहीं आस करो
विरोध पर नहीं सन्यास धरो
इस उठा पटक इस आपाधापी में भी
खुद को साबित हर बार करो ....
