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DrKavi Nirmal

Inspirational

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DrKavi Nirmal

Inspirational

प्रगति

प्रगति

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आज झूम - झूम प्रगति की कथा सुनाता हूँ

लघु कथा तो नहीं, कुछ थोड़ी सी बढ़ाता हूँ


अवतरण हुआ स्वयंभू का, कथा सुनाना है


प्रथम महासंभूति 'सदाशिव' जब आए थे

मानव पृथ्वी पर पशुवत् वनों में छाए थे


तंत्र साधना दे आध्यात्मिकता का परचम वे लहराए

बुद्धिहीन मानव को ज्ञान दे कर बुद्धिजीवी बनाए


दानव समस्त धरातल पर छा 

अत्याचार तब करते थे

अतिक्रमण कर नारी को 

भोग सामग्री वे समझते थे


शिव ने प्रथम अंतरजातीय विवाह कर 

आदर्श परिवार बसाया

सात्विक आहार, विचार एवम् 

व्यवहार, यम - नियम बताया


ऐसा लगा मानो कैलाश पर्वत की

चोटी पर स्वर्ग उतर आया था

सभ्यता का विकाश,

वह अद्भुत क्रांतिकारी युगसंधी का युग था


देवों का तीर्थ यहीं- धरा धाम बना कर

शिवगणों से सजा सँवरा

पाँच हजार वर्षों प्रगति हुई, 

आर्यावर्त भू खण्ड बन कर उभरा


शैन: - शैन: पुन: पशुवत् राक्षसों का 

टिड्डिदल सम पैदा हो छाये

द्वितीय महासंभूति कृष्ण- 

अँधेरी रात्रि, कारा में प्रभु प्रगट हुये


मथुरा-वृंदावन के चितचोर बरसाना में

लीला- फाग रास रचाये

कंस-कालिया दैत्यों का वध कर 

द्वारिकाधीश महाभारत रचाए


कुरुक्षेत्र में चला सुदर्शन चक्र- 

अधर्मियों को कुचल धर्म ध्वज फहराए

अनगिनत मुक्त आत्मायें अवतरित हो 

समय समय पर यहाँ पर आए


कोई तीर्थंकर- कोई पैगंबर बन सुनीति-

सुपथ जन जन को बतलाए

जातिवाद का कुचक्र चला,

मुगल फिरंगी आर्यावर्त को लघु बनाए


अनैश्वरवादियों- पुंजिपतियों ने

जब फुफकार फण फिर से जब ताना

तृतीय महासंभूति का 

धर्मस्थापनार्थ हुआ तब अवरतरण- जग जाना


आज पूर्णिमा के दिन, महामारी फैली,

हजारों जन साधु संत मरे थे

प्रयागराज महानद में स्नान-

ध्यान के तब से भारत में नियम बने थे


धर्म के नाम पर शोषण अनियंत्रित हुआ,

दमनचक्र त्वरित हुआ था

कुटील राजनीति का चहुँ ओर कुचक्र चला- 

साधु मरे, सेठ-साहूकार ही पला बड़ा था


१९४१ बैशाखी पूर्णिमा थी, 

बिहार के जमालपुर में प्रभात तब आए

आनंद मूर्ति कह स्वयम्-

 विराट रूप दरसा कर आनंद परिवार बनाए 


"मानव मानव एक है" का नारा 

नैतिकवादियों ने धरा पर चहुँदिसि गुँजाया 

विश्व बँधुत्व कायम हो सुन

अनैश्ववादी पापीदल थर्राया


सात्विता और तंत्र फिर से

 जन जन के मन में छाया

५० खेप, विप्लव का संकेत- 

अब कोरोना लो लाया


सदाशिव प्रकृति से अपने धर्म का काम है करवाया

यक्ष किन्नरों, ग्वालों और वानरों को निमित्त बनाया


आज नूतन पृथ्वी हेतु अद्भुत शक्ति संपित हुआ है

हर शहर गाँव राज पथ सुनसान, रे वीरान हुआ है


हिंसामुक्त स्वच्छ विश्व उभर कर शीघ्र ही आएगा

भारत विश्व गुरु बन विप्रों से अर्थनीति चलवाएगा


हर कोई होगा समृद्ध सुखी,

 मानव कर्मठ बन जाएगा

"स्वस्तिक ध्वज" नगर गाँव के 

हर घर पर लहरायेगा



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