विज्ञान का हर छोर,वैदिक ज्ञान से सराबोर
विज्ञान का हर छोर,वैदिक ज्ञान से सराबोर
विज्ञान का हर छोर,वैदिक ज्ञान से सराबोर
"सनातन धर्म तंत्र साधना सर्वश्रेष्ठ विज्ञान*
ऋषि-मुनियों की वेद ऋचाएं, 'आप्त वचन' हैं, स्वयं सिद्ध है।
दिव्य चक्षु, पुष्पक विमान समक्ष पनडुब्बी, चंद्रयान नगण्य है।
विज्ञान व वेद दृष्टिकोण से, प्राकृतिक नियम एकीकृत कर खोज।
ध्यान धारणा से अष्टसिद्धियां, भरा है ब्रह्मण्डीय अद्भुत ओज।
भौतिकी से एकीकृत पहचान, प्रशिक्षणार्थ मात्र झलक है।
विषयक रेखांकरण, वस्तुनिष्ठ चैतन्यता तकनीकी संभव है।
एकीकृत भौतिकशास्त्र ब्रह्मांडीय एकीकरण स्रोत स्वरूप समझा।
हजार वर्षों का गहन शोध, नंऔतकि कार्यकी नहीं अबतक समझा।
जाने लगा है, प्रकृतिक नियम एकीकृत स्थिति के रूप में रहस्य हैं।
बल- पदार्थ गतिशील सिद्धांतों के अनुसार क्रमिक रूप से उभरा हैं।
जैसे-जैसे विज्ञान और शैक्षणिक अनुशासन बुनियादी नियम जान पाए।
आधारभूत सिद्धांतों को, उजागर करने के लिए, वह आगे बढ़ते जाए।
आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण, पुरातन वैदिक विज्ञानिक परंपरा संग जोड़ती।
हिमालय के ऋषि-मुनि जागृत हो, मौन स्तरों की पुष्ट खोज युगों से करती।
प्राकृतिक एकता को चेतना की एक आत्म-संदर्भित स्थिति में अनुभूत किया।
असीम, सर्वव्यापी, अपरिवर्तनीय भौतिकत: आत्मनिर्भर स्रोत को, उजागर किया।
ऋषि आत्म-अंतःक्रियात्मक गतिशीलता का अनुभव अभिव्यक्त किए।
माध्यम से एकीकृत क्षेत्र क्रमिक, प्राकृतिक नियमों की विविधता बतलाए।
वैदिक विज्ञान को, सर्वप्रथम ज्ञान प्राप्ति की एक विश्वसनीय विधि बताए।
शब्द के सबसे पूर्ण अर्थ में विज्ञान के रूप में समझा जाना अहम सुझाए।
ज्ञान के एकमात्र आधार के रूप में अनुभव पर शोध निर्भर करना चाहिए।
इंद्रियों के माध्यम से प्राप्त अनुभव पर नहीं, वरन् मानसिक शांति चाहिए।
एकीकृत क्षेत्र के व्यवस्थित अन्वेषण हेतु विकसित तकनीक उपलब्ध कराए।
यह तकनीक एक साधन, जिसके द्वारा किसी को एकीकृत क्षेत्र में पहुँचाए।
सार्वभौमिक ज्ञान आधार, वेदों को ज्ञान के एकीकृत निकाय में जोड़े।
यह चनात्मक बुद्धि का विज्ञान, व्यावहारिक लाभ अधिक कर जोड़े।
स्वास्थ्य, शिक्षा, पुनर्वास और विश्व शांति, मानव चिंता निवारण।
तकनीक के अनुप्रयोग अनुभवजन्य सत्यापन हेतु खोलें- कारण।
युद्ध, आतंकवाद, अपराध, अस्वस्थता व सभी कष्ट समित करेगा।
गणित, विद्युत चुम्बक, गुरुत्वाकर्षण आइंस्टीन क्वांटम लाभ देगा।
विज्ञान का हर छोर, वैदिक ज्ञान से सराबोर, ब्रह्म वाक्य हैं।
प्रायोगिक काल चक्र सनातन, असंख्य पौराणिक साक्ष्य हैं।
