बेटीयाँ
बेटीयाँ
बेटी हूँ तो क्या हुआ,
जीने का हक़ मुझे भी हैं।
बेटी हूँ तो क्या हुआ,
शिक्षा का हक़ मुझे भी हैं।
बेटी हूँ तो क्या हुआ,
आजादी का हक़ मुझे भी हैं।
बेटी हूँ तो क्या हुआ,
फैसला लेने का हक़ मुझे भी है ।
बेटी हूँ तो क्या हुआ,
चिड़ियों की तरह उड़ जाऊंगी।
लाख लोग मुझे रोके,
एक दिन अपने आसमाँ तक पहुँच जाऊंगी।
