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Rajendra Prasad Patel

Inspirational

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Rajendra Prasad Patel

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सब्जी का सार

सब्जी का सार

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जानो सेहत के लिए, सब्जी हो उपयोग ।

मिलते जीवन तत्व हैं, जो हो नित के भोग ।।

जो हो नित के भोग, बने सुंदर है काया ।

अंग अंग प्रत्यंग , शक्ति उन्हीं से पाया ।।

मन भी होता पुष्ट, बढ़े प्रतिरोधक मानो ।

रंजन के इस ज्ञान, चलो आगे कुछ जानो ।।


बाड़ी बना निवास दर, प्रतिरक्षित चहुॅ ओर ।

घुस नहिं पाएं हैं वहां, बेगारी के ढ़ोर ।।

बेगारी के  ढ़ोर, करें जोताई गहरी ।

मिट्टी की हो जांच,सभी बोवाई नहरी।।

रहे न यारो  खेत, किसी की कोई झाड़ी ।

रंजन बना उपाय, सजे  सब्जी से बाड़ी ।।


राजा सब्जी का लगे, आलू  अपने खेत ।

देशी किस्म उगाइये, मन को राखे चेत ।।

मन को राखे चेत, चूक नहिं इसमें करना ।

गोबर खादा डाल, उपज बोरा में भरना ।।

रहे बिना ग्रह शीत, वर्ष भर वह तो ताजा ।

औरों का आधार, इसी लिए कहें राजा ।।


गोभी पालक हैं लगे, लेना भाजी पाल ।

मूली-गाजर खूब हों, लगे टमाटर लाल ।।

लगे टमाटर लाल, धना अरु लहसुन मेथी ।

सब्जी बने सुगंध, ललक  सबको जिससे थी ।।

सब्जी हो भरपूर, बने हर मन हो लोभी ।

फूल गाॅठ अरु पात, उगा लें प्यारे गोभी ।।


भूलें नहिं हो मटर फली, बोना बाड़ी बीच ।

करें निदाई घांस का, रहें समय पर सीच ।।

रहें समय पर सीच, दवा भी हम तो डालें ।

कीटों से कर रक्ष, नियम उसका है पालें ।।

मंहगा है बाजार, फले बैंगन हैं झूलें ।

ताजी सब्जी नित्य, नहीं खाना है भूलें ।।


खनीमा सूरन रुइया, भिंडी लौकी बोय ।

और करेला बरबटी, खाना सबको धोय ।।

खाना सबको धोय, स्वास्थ  बर्धक हैं सारे ।

ले जाना बाजार, मिले  रुपया  है प्यारे ।।

यह भी है उद्योग, करा लेना सब बीमा ।

ओला-पाला दौर, काम दे चले खनीमा ।।


केला नींबू रोपिए, बाड़ी में अमरूद ।

बारहमासी है मिले, खाना प्यारे कूद ।।

खाना प्यारे कूद, विटामिन के ए दाता ।

इनसे गॅठे शरीर, रखें गाढ़ी सी नाता ।।

पका पका है तोड़,बेंच रखकर है ठेला।

देता मीठा स्वाद, पके देशी है केला।।



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