सब्जी का सार
सब्जी का सार
जानो सेहत के लिए, सब्जी हो उपयोग ।
मिलते जीवन तत्व हैं, जो हो नित के भोग ।।
जो हो नित के भोग, बने सुंदर है काया ।
अंग अंग प्रत्यंग , शक्ति उन्हीं से पाया ।।
मन भी होता पुष्ट, बढ़े प्रतिरोधक मानो ।
रंजन के इस ज्ञान, चलो आगे कुछ जानो ।।
बाड़ी बना निवास दर, प्रतिरक्षित चहुॅ ओर ।
घुस नहिं पाएं हैं वहां, बेगारी के ढ़ोर ।।
बेगारी के ढ़ोर, करें जोताई गहरी ।
मिट्टी की हो जांच,सभी बोवाई नहरी।।
रहे न यारो खेत, किसी की कोई झाड़ी ।
रंजन बना उपाय, सजे सब्जी से बाड़ी ।।
राजा सब्जी का लगे, आलू अपने खेत ।
देशी किस्म उगाइये, मन को राखे चेत ।।
मन को राखे चेत, चूक नहिं इसमें करना ।
गोबर खादा डाल, उपज बोरा में भरना ।।
रहे बिना ग्रह शीत, वर्ष भर वह तो ताजा ।
औरों का आधार, इसी लिए कहें राजा ।।
गोभी पालक हैं लगे, लेना भाजी पाल ।
मूली-गाजर खूब हों, लगे टमाटर लाल ।।
लगे टमाटर लाल, धना अरु लहसुन मेथी ।
सब्जी बने सुगंध, ललक सबको जिससे थी ।।
सब्जी हो भरपूर, बने हर मन हो लोभी ।
फूल गाॅठ अरु पात, उगा लें प्यारे गोभी ।।
भूलें नहिं हो मटर फली, बोना बाड़ी बीच ।
करें निदाई घांस का, रहें समय पर सीच ।।
रहें समय पर सीच, दवा भी हम तो डालें ।
कीटों से कर रक्ष, नियम उसका है पालें ।।
मंहगा है बाजार, फले बैंगन हैं झूलें ।
ताजी सब्जी नित्य, नहीं खाना है भूलें ।।
खनीमा सूरन रुइया, भिंडी लौकी बोय ।
और करेला बरबटी, खाना सबको धोय ।।
खाना सबको धोय, स्वास्थ बर्धक हैं सारे ।
ले जाना बाजार, मिले रुपया है प्यारे ।।
यह भी है उद्योग, करा लेना सब बीमा ।
ओला-पाला दौर, काम दे चले खनीमा ।।
केला नींबू रोपिए, बाड़ी में अमरूद ।
बारहमासी है मिले, खाना प्यारे कूद ।।
खाना प्यारे कूद, विटामिन के ए दाता ।
इनसे गॅठे शरीर, रखें गाढ़ी सी नाता ।।
पका पका है तोड़,बेंच रखकर है ठेला।
देता मीठा स्वाद, पके देशी है केला।।
