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Akanksha Singh

Abstract

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Akanksha Singh

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वो सावन तो अब आना है

वो सावन तो अब आना है

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यह पहली सीढ़ी है मंजिल की, 

मुझे दूर तक  जाना  है।


जो अतीत में खोया मैंने,

वो सब कुछ फिर से पाना है।


बसंत भी आया, बहार भी आई, 

पतझड़ भी आकर चला गया।


मुझे इंतजार सदियों से है जिसका, 

वो सावन तो अब आना है।


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