तकदीर का दीदार
तकदीर का दीदार
कोई कह दे तकदीर लिखने वालों से कि
अपना कलम बदल दे
कोई कह दे तकदीर लिखने वालों से
कि अपना कलम बदल दे ।
सियाही से ठोकर लिखना ही है अगर तो
आसरा भी कही शामिल कर दे ।
तकदीर की किताब जरा खोल कर तो बता
और कितने कारनामे बाकी है ।
घबराएँगे नहीं तेरे लिखे हुए से क्योंकि
लिखे हुए को बदलना हम भी खूब जानते हैं।
ना तेरी गलती, ना किसी और की
क्या कहे किसी से
के है मारे सब यहाँ अपनी-अपनी सोच के।